دلتنگم.
و باران فقط.
در پس يك ابر ميبارد،
خواب فراموشي!
نويسنده | مهدي اناري |
قطع | رقعي |
نوع جلد | شوميز |
زبان | فارسي |
تعداد صفحات | 84 |
نوبت چاپ | 1 |
ابعاد | 14 * 0.5 * 20.2 |
وزن | 125 |
سال چاپ | 1394 |
هنوز نظري ثبت نشده است
نويسنده | مهدي اناري |
قطع | رقعي |
نوع جلد | شوميز |
زبان | فارسي |
تعداد صفحات | 84 |
نوبت چاپ | 1 |
ابعاد | 14 * 0.5 * 20.2 |
وزن | 125 |
سال چاپ | 1394 |
هنوز نظري ثبت نشده است